जानिए क्यों मनाते हैं कृष्ण जन्माष्टमी और दही हांडी का उत्सव - Why We Celebrate Krishna Janmashtami
24 अगस्त 2019 को जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन गली-गली श्रीकृष्ण की झाकियां निकाली जाती है। हर तरह खुशी
और उल्लास का माहौल होता है। वृन्दावन में जन्माष्टमी का खास उत्सव होता है, वहां की मंदिर, भगवान की मूर्तियों को बहुत ही
खूबसूरत तरह से सजाया जाता है। रूप चाहे जैसा भी हो हर रूप में भगवान श्री कृष्ण को पूजा जाता है फिर चाहे उनका माखन
चोर का अवतार हो या फिर राधा के रंग में डूबे कान्हा का। नटखट कान्हा के जन्मदिन की तैयारियां काफी पहले से ही शुरू कर
दी जाती है। आज हम आपको बताएंगे कृष्ण जन्माष्टमी से जुड़ी सभी बातें कि क्यों मनाते हैं जन्माष्टमी, कैसे मनाते हैं जन्माष्टमी
आदि।
क्यों मनाते हैं जन्माष्टमी
भगवान श्री कृष्ण के जन्म को ही कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष
की अष्टमी को हुआ था। मथुरा नगरी में आधी रात को श्री कृष्ण ने जन्म लिया था। इसीलिए मथुरा को भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि
कहा जाता है। जन्माष्टमी के दिन मथुरा और वृन्दावन में काफी रौनक होती है।
दही हांडी का उत्सव
जन्माष्टमी के एक दिन बाद दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण को सबसे ज्यादा माखन पसंद
था। इसीलिए उनके जन्म के एक दिन बाद ही दही हांडी का उत्सव मनाते हैं। इसके लिए काफी उच्चाइयों पर रस्सी में दही हांडी
बांधी जाती है इसमें माखन रखा जाता है। लोग एक के ऊपर एक चढ़कर पीरामिड बनाया जाता है। जो इंसान सबसे ऊचाइयों पर
होता है वो नारियल की मदद से हांडी तोड़ता है। इस दौरान लोग गाने गाते हैं डांस करते हैं और भगवान श्री कृष्ण को रिझाने की
कोशिश करते हैं। न सिर्फ लड़के बल्कि लड़कियां भी पीरामिड बनाकर दही-हांडी के उत्सव में भाग लेती हैं। ये बेहद ही खूबसूरत
नजारा होता है, इस दौरान सब कृष्ण की भक्ति में लीन रहते हैं।
कैसे मनाएं जन्माष्टमी-
वैसे तो जन्माष्टमी मनाने का तरीका सबका अलग-अलग होता है।लेकिन अगर आप पहली बार जन्माष्टमी बनाने जा रहे हैं तो आपको
हमारा ये आर्टिकल मदद दे सकता है।दरअसल हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप कैसे जन्माष्टमी का पर्व बना सकते हैं।
घर सजाएं
कहते हैं कि घर को सजाने पर खुशियां दोगुनी हो जाती है और घर की रौनक भी बढ़ जाती है। तो जन्माष्टमी का त्यौहार मनाने के लिए
आप सबसे पहले अपने घर को सजाएं। इसके लिए आप गुब्बारे, झालर, फुलों से अपने घर को सजाए।
कान्हा को घर पर लाएं
अगर आपके घर में कान्हा की मूर्ति या तस्वीर नहीं है तो आप जन्माष्टमी के मौके पर उनको घर में ला सकते हैं। लेकिन अगर पहले से
ही आपके पास कान्हा की मूर्ति या तस्वीर है तो आप उसकी पूजा कर सकते हैं।
कान्हा का श्रंगार
जन्माष्टमी के मौके पर आप कान्हा का श्रंगार करें। उनको नए-नए वस्त्र , मुकूट आदि से सजाएं। आप इस दौरान फूल और सितारों से
आरती की थाली भी सजाएं जिससे आप जन्म के बाद उनकी आरती उतारेंगे।
कान्हा का जन्म
कहते हैं भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात 12 बजे हुआ था। इसलिए हर साल जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म
कराया जाता है। खीरे में भगवान श्री कृष्ण को रखा जाता है और ठीक 12 बजे उनका जन्म कराया जाता है। जन्म के बाद भगवान की
आरती गाई जाती है और भोग लगाया जाता है।
प्रसाद
कान्हा के जन्म के बाद पंजीरी और चरणामृत का भोग लगाएं। अब ये प्रसाद आप बाकि परिवार के लोगों में बांट दें।
Comments
Post a Comment